साहित्य पुनरवलोकन

  1. साहित्य पुनरवलोकन क्या है? इसके विभिन्न तत्वों का विस्तार से वर्णन करें।

साहित्य पुनरवलोकन में पुनरवलोकन शब्द दो शब्द से मिल कर बना है – पुनः और अवलोकन। अवलोकन का अर्थ है जांच-पड़ताल करना। साहित्य पुनरवलोकन के अंतर्गत शोधकर्ता अपने शोध विषय से संबंधित पहले से मौजूद किसी साहित्य या शोध पत्रिका का अध्ययन करता है। इसके अंतर्गत इस बात का अध्ययन किया जाता है कि उसके द्वारा चुने गए क्षेत्र में कितना काम हो चुका है एवं किस प्रकार का काम हुआ है, अभी शोध का नया ट्रेड क्या है, आदि ।

किसी भी प्रकार के शोध में साहित्य पुनरवलोकन करने के पीछे जो प्रमुख कारण है, उसका वर्णन हम निम्न प्रकार से कर सकते हैं :-

  • ज्ञान की खाई (Knowledge gap) ढूंढना :- वैसे तो साहित्य पुनरवलोकन करने के कई कारण है लेकिन उन कारणों में सबसे पहला और प्रमुख नॉलेज गैप ढूंढना है। नॉलेज गैप ढूंढने का अर्थ है उस क्षेत्र में कौन-कौन सा कार्य हो चुका है, किस क्षेत्र में कार्य होना अभी बाँकी है। अगर शोधकर्ता सही ढंग से साहित्य पुनरवलोकन किए बिना अपना शोध शुरू कर देता है तो हो सकता है कि जो काम वह आज करे, कोई और उस काम को पहले ही कर चुका हो। इस पर उस काम की पुनरावृति हो जाएगी इसलिए शोध कार्य में शोध समस्या ढूंढने के लिए साहित्य पुनरवलोकन करना अत्यंत आवश्यक है।
  • अवधारणा (Concept) को परिभाषित करना  :- साहित्य पुनरवलोकन के द्वारा ही शोधकर्ता अपने कान्सैप्ट को सही तरीके से समझ सकता है और अपना एक नया कान्सैप्ट दे सकता है। साहित्य पुनरवलोकन के द्वारा शोधकर्ता यह जान सकता है कि उसने जो शोध समस्या चुना है उस समस्या पर कहीं कोई काम हुआ है या नहीं। अगर उसपर कोई काम हुआ है तो किस विधि से हुआ है। इस बात का अध्ययन कर शोधकर्ता यह चुन सकता है कि उसे अपने शोध के लिए कौन-सा विधि का चुनाव करना उपयुक्त होगा।

साहित्य पुनरवलोकन के दौरान शोधकर्ता इस बात का अध्ययन करता है कि वह  जिस क्षेत्र में शोध करना चाह रहा है उस क्षेत्र में इससे पहले क्या-क्या शोध हो चुका है और उसका शोध उस क्षेत्र में कैसे उपयोगी साबित होगा अर्थात शोधकर्ता शोध ज्ञान की खाई को कैसे भरेगा। साहित्य पुनरवलोकन के मदद से शोधकर्ता अपनी शोध सीमा भी निर्धारित करता है।

जब शोधकर्ता अपने शोध के लिए साहित्य पुनरवलोकन कर रहा होता है तो उसके पास जो सबसे बड़ा प्रश्न उठता है वह यह है कि वह कितने समय पीछे तक के साहित्य का पुनरवलोकन करेगा। इसके लिए जो एक मानक पैमाना है वह यह है कि जब शोधकर्ता मास्टर के लिए साहित्य पुनरवलोकन कर रहा होता है तो उसे पिछले 10 सालों के साहित्य का पुनरवलोकन करना चाहिए एवं पीएचडी के लिए उसे इससे पहले के साहित्य का भी पुनरवलोकन करना चाहिए।

संबंधित साहित्य के सर्वेक्षण से तात्पर्य उस अध्ययन से है जो शोध समस्या के चयन के पहले अथवा बाद में उस समस्या पर पूर्व में किए गए शोध कार्यों, विचारों, सिद्धांतों, कार्यविधियों, तकनीक, शोध के दौरान होने वाली समस्याओं आदि के बारे में जानने के लिए किया जाता है।

संबंधित साहित्य का सर्वेक्षण मुख्यत: दो प्रकार से किया जाता है :-

  1. प्रारंभिक साहित्य सर्वेक्षण(Preliminary survey of literature)

प्रारंभिक साहित्य सर्वेक्षण शोध कार्य प्रारंभ करने के पहले शोध समस्या के चयन तथा उसे परिभाषित करने के लिए किया जाता है। इस साहित्य सर्वेक्षण का एक प्रमुख उद्देश्य यह पता करना होता है कि आगे शोध में कौन-कौन सहायक संसाधन होंगे।

  1. व्यापक साहित्य सर्वेक्षण(Broad survey of literature) – व्यापक साहित्य सर्वेक्षण शोध प्रक्रिया का एक चरण होता है। इसमें संबंधित साहित्य का व्यापक अध्ययन किया जाता है। संबंधित साहित्य का व्यापक सर्वेक्षण शोध का प्रारूप के निर्माण तथा डाटा/तथ्य संकलन के कार्य के पहले किया जाता है।

साहित्य पुनरवलोकन के तत्त्व

  1. शीर्षक – शीर्षक का मुख्य काम होता है पाठक शीर्षक देख कर यह समझ जाए कि इसे पढ़ने की जरूरत है या नहीं। शीर्षक में मुख्यतः उपयोगी तत्व का पता चल जाए। शिरसहक से यह पता चले कि यह किसी चीज का पुनरवलोकन है। शीर्षक जितना संभव हो सके उतना छोटा हो लगभग आठ से बारह शब्द । शीर्षक में प्रयुक्त शब्द संदिग्ध न हो।
  2. लेखकों की सूची – लेखकों की सूची के अंतर्गत हम लेखकों का नाम देते है। अगर लेखकों की संख्या एक से ज्यादा हो तो लेखकों का नाम हम सूची के रूप में लिखते है।
  3. सारांश – इसके अंतर्गत मूल्यांकन का सारांश लिखते है। सारांश लिखने के लिए हम वर्तमान काल का प्रयोग करते है। विधि एवं सामाग्री कों भूतकाल में लिखते है और निष्कर्ष को वरमान काल में लिखते है। सारांश की लंबाई हम 200 से 250 शब्द तक रखते है।
  4. विषय सूची – लिखे गए पुरनावलोकन के लिए विषय सूची बनाई जाती है जिसमें यह दर्शाया जाता है कि इस पुनरवलोकन में किस-किस विषय पर चर्चा किया गया है।
  5. परिचय – साहित्य पुनरवलोकन के परिचय वाले भाग में संदर्भ के बारे में चर्चा, किस चीज के बारे में पुनरवलोकन किया जा रहा है इसकी चर्चा होती है। इसमें मुख्यतः तीन तत्व होते है –
  • विषय पृष्ठभूमि– इसके अंतर्गत शोध विषय के ऐतिहासिक और सामान्य बातों की चर्चा की जाती है।
  • समस्याएँ – समस्याएँ के अंतर्गत शोध समस्याएँ के बारे में चर्चा करते है। जिस समस्या के लिए शोध किया जा रहा है।
  • प्रेरणा/प्रामाणिकता – इसके अंतर्गत इस बात की चर्चा की जाती है कि इस शोध को करने की प्रेरणा कहाँ से मिली।

परिचय वाले भाग की लंबाई बॉडी के लंबाई का 10 से 20 प्रतिशत तक होता है।

  1. बॉडी : सामाग्री और मुख्य बातें- यह पुरनावलोकन का मुख्य भाग होता है। इसके अंतर्गत सामाग्री और मुख्य बातें की चर्चा करते है। यह पूरे टेक्स्ट का 70 से 90 प्रतिशत तक होता है।
  2. निष्कर्ष : इसके अंतर्गत परिचय में जो प्रश्न पूछा गया था उसका निष्कर्ष दिया जाता है। जो प्रश्न अनुतरित्त रह गया उसके बारे में भी चर्चा की जाती है। यह पूरे टेक्स्ट का लगभग 5 से 10 प्रतिशत तक होता है।
  3. संदर्भ सूची – इसके अंतर्गत किताब एवं पत्रिकाओं की सूची दी जाती है जिसे साहित्य पुरनावलोकन के दौरान पढ़ा गया होता है। इसके लिए APA(American Physiological Association)  फॉर्मेट का इस्तेमाल किया जाता है।

Online Examinition Portal

यह बेबसाइट ऑनलाइन परीक्षा के लिए तैयार किया गया हैं। पहले जहां वैबसाइट का प्रयोग

केवल विज्ञापनों के लिए ही किया जाता था। वहीं अब इसका प्रयोग अन्य क्षेत्रों में

भी किया जाने लगा हैं। हम जानते है कि आज के समय में सारी परीक्षाएँ लगभग ऑनलाइन

हो रही हैं, इसलिए सारी सॉफ्टवेयर कंपनियाँ इस क्षेत्र में हाथ आज़मा रही हैं। इस प्रणाली में

परीक्षा का परिणाम submit करने के तुरंत बाद ही आ जाता है ।इसका लाभ यह है कि

आपको परिणाम के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ता है। इतना ही नहीं पहले जहां परीक्षा

देने के लिए आपको किसी और शहर में जाना पड़ता था और परीक्षा देने के बाद परिणाम के

लिए एक लंबा इंतजार करना पड़ता था, उससे मुक्ति मिल जाएगी ऐसी आशा की जा सकती

है।

College Management System

यह एक एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर है कॉलेज मैनेजमेंट सिस्टम का। जिसमें निम्न तरह की features को डाला गया है –

  1. इसमें विद्यार्थी, शिक्षक, एवं अन्य कर्मचारी की एंट्री, attendance लिया जा सकता है।

2. इसमें स्टाफ के लिए सैलरी मैनेजमेंट भी डाला गया है।

3. इसमें पुस्तकालय के लिए भी सभी option डाला गया है।

इस प्रकार हम कह सकते है कि यह सॉफ्टवेयर कॉलेज एवं स्कूल की सभी जरूरतों को पूरा कर देता है।